योगी सरकार में शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर अरबों खर्च किए जा रहे हैं…. शिक्षा परियोजना के लिए करोड़ों का सालाना बजट पास किया जाता है… बावजूद इसके सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल ही नजर आता है…. प्राइमरी स्कूल हमारे देश के अधिकतर क्षेत्रों में निःस्वार्थ भाव से समाज को प्राथमिक शिक्षा बांटने का काम करते आ रहे हैं…. लेकिन अक्सर देखा ये ही जाता है कि प्राइमरी स्कूल गांवों, कस्बों या शहरों के एक कोने में तन्हा दिखाई देते हैं…. इसकी बानगी देखने को मिली है लखनऊ से सटे उन्नाव जिले में… जहां एक पुराना प्राइमरी स्कूल गांव में बसा होने के बावजूद गांव से ही अलग-थलग पड़कर अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है….. अधूरी पड़ी बिल्डिंग चीख-चीख कर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है… स्कूल हरपल टकटकी लगाए अपने संवरने का इंतजार कर रहा है…. लेकिन मौजूदा मंजर ने उसके नेक इरादों पर पानी फेर दिया है…. जी हां, सचमुच पुरवा तहसील के ग्राम सभा झोलामऊ के बसनोहा गांव में प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग अपनी किस्मत को कोसती हुई बदहाली की मर्म कहानी सुना रही है…. मगर आज की आपाधापी भरी जिन्दगी में भला किसके पास इतना वक्त है कि वह उसके करीब जाकर उसकी खबर लें…. ख़ामोशी की वजह पूछे या उसके वजूद को याद करें…. जिम्मेदारों को तो बस पैसा ही दिखाई देता है….
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ज़रा इन तस्वीरों पर गौर फरमाईये…. इस तस्वीर में बिना प्लास्टर हुआ एक आम सा भवन दिखाई दे रहा है…. अब अगर हम कहें कि ये कोई आम भवन नहीं, बल्कि एक सरकारी प्राइमरी स्कूल है तो क्या आप यकीन करेंगे… शायद नहीं करेंगे…. लेकिन आपको यकीन करना पड़ेगा… क्योंकि दुर्भाग्यवश ये ही सच है… जी हां, आप यूं समझ लीजिए कि ये भवन आवारा पशुओं का विश्राम घर भी है और देश के भविष्य बच्चों के शिक्षा का मंदिर भी है…. बताया जाता है कि लगभग 70 बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं…. यहां पढ़ने वाले एक विद्यार्थी ने बताया कि स्कूल में मात्र 3 अध्यापिकाएं और एक अध्यापक ही पढ़ाने आते हैं…. उसका कहना था कि उन्हें स्कूल में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिली है… और तो और उन्हें चटाई पर बैठकर पढ़ाया जाता है…..
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बाइट- रितेश, छात्र
आलम ये है कि इतनी कम आबादी वाले गांव में भी कुछ बच्चों को शिक्षा के लिए गांव से कई किलोमीटर दूर प्राइवेट स्कूल जाना पड़ता है….
बाइट- निर्भय
वहीं, यहां रहने वाले लोगों को कहना है कि इस विद्यालय में भ्रष्टाचार पूरी तरह हावी है… स्कूल की दयनीय हालत का सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार को ही बताया जाता है…. लोगों का कहना है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी भी भ्रष्टाचार के इस काले खेल में शामिल हैं… ये ही वजह है कि स्कूल आज अपने हालातों पर आंसू बहा रहा है…
बाइट- सुरेंद्र प्रकाश मिश्रा, स्थानीय
गांव के ही एक संवेदनशील व्यक्ति ने स्कूल के इस जर्जर भवन के पीछे की कहानी हमारे सामने रखी…. उन्होंने बताया कि जब स्कूल की इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य हो रहा था तो इसमें सबसे निम्न कोटी की सामग्री का इस्तमाल किया जा रहा था… जिसकी शिकायत किए जाने के बाद आरोपी कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की जेल भेज दिया गया…. अब आलम ये है कि आरोपी जेल काट के आ भी चुका है लेकिन अभी तक स्कूल की बिल्डिंग का निर्माण दोबारा शुरु नहीं कराया गया है….
बाइट- रामसहाय कुशवाहा
बहरहाल, बात चाहे जो भी हो, इतना तो साफ है कि योगी राज में शिक्षा व्यवस्था नागिन की तरह डांस कर रही है….. अगर जनता को पहले मालूम होता कि इनके राज में शिक्षा का मंदिर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जाएगा तो शायद लोग कभी बीजेपी को वोट ही नहीं करते….. फिलहाल, शिक्षा के मंदिर का ये अधूरा भवन जोर शोर से जिम्मेदार अधिकारियों से अपने गुहार लगा रहा है…. लेकिन शायद इसे पता नहीं, मौजूदा सरकार में सुनवाई सिर्फ और सिर्फ अपराधियों की होती है…