15 अप्रैल, 1948. आज 76 साल का हुआ हिमाचल। जाने गठन से लेकर आज तक का सफरनामा
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हिमाचल का इतिहास
स्वतंत्रता से पहले छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित प्रदेश 15 अप्रैल, 1948 हिमाचल भारत का एक कमिश्नर प्रोविंस बना। पंजाब और शिमला के 30 पहाड़ी राज्यों जैसे भघाट, भज्जी, बाघल के भारतीय संघ में विलय के परिणामस्वरूप भारतीय संघ (कमिश्नर प्रोविंस) के एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। बेजा, बलसन, बुशहर, चंबा, दरकोटी, देलथ, ढाडी, धामी, घुंड, जुब्बल, खनेटी, क्योंथल, कोटी, कुमारसैन, कुनिहार, कुठार, मंडी मधान, महलोग मांगल, रतेश, रेविनीगढ़, सांगरी, सिरमौर, सुकेत, थरोच, और ठियोग रियासतों को भी शामिल किया गया। उस समय राज्य में चार जिले चंबा, महासू, मंडी और सिरमौर थे। इसका क्षेत्रफल 27,16,850 हेक्टेयर यानी 27169 वर्ग किलोमीटर था। भारतीय संविधान लागू होने के साथ 26 जनवरी, 1950 को हिमाचल प्रदेश ‘ग’ श्रेणी का राज्य बन गया। 1954 में बिलासपुर 31वीं रियासत को हिमाचल के साथ एकीकृत किया गया। इससे 1,06,848 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ एक और जिला जुड़ गया।
हिमाचल प्रदेश, एक जुलाई 1956 में केंद्रशासित प्रदेश बना। 1966 में प्रशासनिक कारणों से महासू जिले से अलग किन्नौर को एक नया सीमावर्ती जिला बनाया गया। 1 नवंबर, 1966 को पंजाब राज्य के पुनर्गठन के साथ चार और पहाड़ी जिले कांगड़ा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और शिमला, अंबाला जिले की नालागढ़ तहसील, होशियारपुर जिले की ऊना तहसील के कुछ हिस्से और गुरदासपुर जिले के डलहौजी को हिमाचल में मिलाया गया। इससे इसका क्षेत्रफल लगभग 100 प्रतिशत बढ़ गया। 25 जनवरी, 1971 को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। एक सितंबर, 1972 को कांगड़ा जिले से दो और जिले, हमीरपुर और ऊना बनाए गए। महासू जिले को हटाकर सोलन को भी एक जिले का नाम दिया गया।
76 सालों में क्या क्या बदला
7 से 82.80 फीसदी पहुंची साक्षरता दर
1948 में हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर सात फीसदी थी, जो कि आज 76 साल बाद 82.80 फीसदी तक पहुंच चुकी है। प्रदेश में तीन एयरपोर्ट हैं, जिनकी 1948 में संख्या शून्य थी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी प्रदेश ने अग्रणी मुकाम हासिल किया है। शून्य से शुरुआत करने वाले हिमाचल में अब एक एम्स, एक सेटेलाइट पीजीआई सहित पांच मेडिकल कॉलेज, पांच डेंटल कॉलेज, कई नर्सिंग और फार्मेसी कॉलेज हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल के पास एक ट्रिपल आईटी, एक आईआईटी, तीन स्वायत इंजीनियरिंग संस्थान और दर्जनों इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। यहां पर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे राज्यों के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं। वर्ष 1948 में हिमाचल के लोगों की प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये थे, जो कि मौजूदा समय में 2,35,199 रुपये पहुंच चुकी है।